Sunday, September 6, 2009

40-वर्ष-का-हुआ-इंटरनेट

लेन क्‍लेनरॉक अपने बीस साथि‍यों के साथ जब अपनी प्रयोगशाला में दो कंप्‍यूटरों के बीच डेटा ट्रांसफर करने की कोशि‍श कर रहे थे तब उन्‍होंने ये नहीं सोचा था कि‍ उनकी ये शुरुआत एक दि‍न दुनि‍या भर के करोड़ों लोगों के नि‍जी और सामाजि‍क जीवन का एक अभि‍न्‍न हि‍स्‍सा बन जाएगी।

2 सि‍तंबर 1969 को कैलि‍फोर्नि‍या वि‍श्‍ववि‍द्यालय की प्रयोगशाला में पहली बार 15 मीटर लंबी केबल द्वारा दो कंप्‍यूटरों के बीच डेटा का आदान-प्रदान हुआ जि‍से इंटरनेट कहा गया। अनुसंधानकर्ता मुक्‍त जानकारी के लि‍ए सुविधा की खोज करने की कोशि‍श कर रहे थे और उन्‍हें इसमें सफलता हाथ लगी इंटरनेट के रूप में। 1971 में टीसीपी और आईपी प्रोटोकॉल बनने के बाद ईमेल की शुरुआत हुई। सबसे पहले अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के तहत काम करने वाली कंपनी ‘बोल्ट बेरानेक एंड न्यूमैन’ (बीबीएन) के कंप्यूटर इंजीनियर रहे रे. टॉमलिनसन ने वर्ष 1971 में ईमेल का इस्तेमाल किया। 1983 में डोमेन की शुरुआत हुई और वेबसाइट्स बनने लगीं।

ईमेल का उपयोग पहले तो औपचारि‍क आवश्‍यकताओं के लि‍ए कि‍या जाता था लेकि‍न अब ये आम जिंदगी की जरूरत बन गया है। ईमेल के बाद उसका एक त्‍वरि‍त रूप आया चैटिंग। युवाओं में चैटिंग आज की एक आम आदत बन गई है। लगातार चैटिंग करने की प्रवृत्ति‍ के चलते कई युवा इसके आदि‍ भी बन जाते हैं। ऑनलाइन बातचीत की दुनि‍या में पि‍छले कुछ सालों में एक और नाम जुड़ गया है सोशल नेटवर्किंग। फेसबुक, ट्वि‍टर, ऑरकुट जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स युवाओं में खासी लोकप्रि‍य है। आज शायद ही कोई ऐसा युवा होगा जि‍सका इनमें से कि‍सी साइट पर अकाउंट न हो।

आज गूगल की सर्च में 1 खरब से ज्‍यादा वेबसाइटों के नाम सूचीबद्ध हैं। आलम ये है कि‍ अगर आप हर पेज को देखने के लि‍ए एक मि‍नट लगाते हैं तो उपलब्‍ध वेबसाइटों की संख्‍या आपको 31 हजार वर्षों तक व्‍यस्‍त रख सकती है, वो भी बि‍ना सोए। इतना ही नहीं आपको वेब पर दी गई सामग्री पढ़ने के लि‍ए 600 हजार दशक के समय की जरूरत होगी। है ना कमाल!!

आज वि‍श्व की जनसंख्‍या लगभग 6 अरब 70 करोड़ है। इसका मतलब वि‍श्व में प्रत्‍येक व्‍यक्ति‍ के लि‍ए 150 वेब पेज उपलब्‍ध हैं।

वर्ष दर वर्ष दुनि‍या भर में इंटरनेट का इस्‍तेमाल करने वालों की संख्‍या बढ़ती जा रही है। इस वर्ष वि‍श्व की ऑनलाइन जनसंख्‍या में पि‍छले वर्ष की तुलना में 16 प्रति‍शत की वृद्धि‍ दर्ज की गई है। आज दुनि‍या में लगभग 1 अरब 46 करोड़ लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं।

एक ओर इंटरनेट संपर्कों और संबंधों का तानाबाना बुन रहा है तो दूसरी ओर इसके दुरुपयोग से होने वाले दुष्‍प्रभावों से भी हम बच नहीं पाए हैं। सायबर अपराधों में हर रोज बढ़ोतरी हो रही है। हैकिंग, स्‍पैमिंग और फि‍शिंग जैसे कारनामों से परेशान होने वाले यूजर्स की आज कमी नहीं है।

मजे की बात तो ये है कि‍ जब तक एक वायरस से बचने के लि‍ए एंटीवायरस सॉफ्टवेयर तैयार कि‍या जाता है तब तक हैकर्स दूसरा वायरस तैयार कर लोगों के बैंक अकाउंट और क्रेडि‍ट कार्ड नंबर तक में सेंधमारी कर जाते हैं। सायबर अपराधों के जरि‍ए अश्लीलता फैलाने वालों को बढ़ावा मि‍ल रहा है। हाल ही में इंटरनेट सुरक्षा कंपनी नॉर्टन ने 100 सबसे खतरनाक और अश्लील वेबसाइटों की सूची जारी की है।

No comments:

Post a Comment